हिन्दी विभाग : परिकल्पना एवं उदेश्य:
मॉडर्न इंग्लिश स्कूल का हिन्दी विभाग अपने विषय में कुशलएवं प्रशिक्षित शिक्षकों का समूह है जो छात्रों में भाषायी कौशल को रुचिपूर्वक ग्राह्य बनाने के साथ-साथ उन्हे साहित्यिक रसस्वादन की ओर प्रेरित करता आया है। हम बच्चों को कल्पनाशील गतिविधियों और सवालों की मदद से सीखने और सीखने के दौरान अपने अनुभवों पर विचार व्यक्त करने का पूर्ण अवसर प्रदान करते हैं। हमारा उदेश्य है कि भाषा सीखते समय मानसिक दबाव तथा बोरियत की जगह बच्चे खुशी का अनुभव करे। हमशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति को अपनाने में प्रयासरत हैं क्योंकि इसमें शिक्षार्थियों की सक्रिय सहभागिता बनी रहती है, जो सीखने के उत्कृष्ठ परिणाम देती है। अंतर सामूहिक क्रिया कलाप जैसे- विभिन्न विषयों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, नाट्य-मंचन, कविता-पाठ आदि द्वारा बच्चों की भाषायी कौशल को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ बाल सुलभ जिज्ञासा को बढ़ावा देने तथा विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक विषयों के प्रति जागरूकता एवं दायित्व बोध; आपसी सौहार्द, देश प्रेम जैसे अन्यान्य संस्कारों का बीजारोपन करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं।
हम भाषा शिक्षण के दौरान निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देने का प्रयत्न करते हैं।
• वर्णों की संरचना एवं ध्वनि,
• उच्चारण एवं सुलेख
• शब्द-भंडार
• व्याकरण एवं भाषा
• पठन तथा लेखन कौशल
• तर्क-वितर्क, विश्लेषणात्मक कौशल
• तुलना करना , उचित-अनुचित को समझना
• कारण, परिणाम, और समाधान संबंधी
• मूल्यपरक विचारों को अभिव्यक्त करना
• वाचन एवं श्रवण कौशल की क्षमता का विकाश
‘बालक सुनता है और भूल जाता है। वह देखता है और उसे याद रहता है। वह पढ़ता है और समझता है। बालक लिखता है और सिखता है।‘ अर्थात,श्रवण,वाचन पठन एवंलेखन कौशल उन्हे ज्ञान आहरण एवं अभिव्यक्ति क्षमता को प्रकट करने का सुदृढ़ आधार प्रदान करने में सहायक सिद्ध होता है। अध्ययन-अध्यापन कार्य तभी सफल होता है जब बच्चे कक्षा में पढ़ी या सीखी गई बातों को कक्षा से बाहर की दुनिया से जोड़ कर देखने लगते हैं तथा कल्पना और यथार्थ की दुनिया में विचरण करने को लालायित होने लगते हैं। हम अपने आधायायन-अध्यापन कार्य के दौरान बच्चों की रुचि, क्षमता तथा मानसिक स्तर को ध्यान में रखते हुए अनेक प्रकार की रोचक गतिविधियों एवं क्रिया-कलापों का समावेश करते हैं जो उनकी सृजनात्मक क्षमता को निखारने के साथ-साथ शाश्वत जीवन मूल्यों को अपनाने, भारतीय समाज के संस्कारों, रीति-रिवाजों तथा सामाजिक दायित्वों को समझने में सहायक होगा।
हम शिक्षण की इस प्रक्रिया में अधिगम के निम्नलिखित कौशलों को अपनाने का प्रयास करते हैं।
आशा है हमारा प्रयास बच्चों के लिए रुचिकर ढंग से भाषा एवं साहित्य को सीखने में सहायक सिद्ध होगा।